जवाली क्षेत्र में मक्की की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीड़े का प्रकोप देखा जा रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग सतर्क हो गया है। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने स्वयं अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ क्षेत्र का दौरा किया और खेतों में जाकर स्थिति का जायजा लिया।
कृषि मंत्री चंद्र कुमार की प्रतिक्रिया
कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने किसानों को इस कीड़े से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने किसानों को कोरोजन दवाई के स्प्रे का उपयोग करने की सलाह दी है, जो कृषि विक्रय केंद्रों पर अनुदानित दरों पर उपलब्ध है। मंत्री ने फील्ड स्तर पर जागरूकता शिविर आयोजित करने के भी निर्देश दिए ताकि किसानों को इस समस्या से निपटने में मदद मिल सके।
मक्की की फसल की स्थिति
कांगड़ा जिला में 52 हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्की की बिजाई की गई है। शुरुआती दिनों में मक्की की फसल अच्छी थी, लेकिन अब फॉल आर्मी वर्म कीड़े के प्रकोप से फसल को नुकसान हो रहा है। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी मौके पर पहुंचकर किसानों को इस कीड़े से निपटने के उपायों के बारे में जानकारी दी।
कृषि मंत्री की समीक्षा बैठक
कृषि और पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने जवाली विश्राम गृह में कृषि विभाग के अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों को फील्ड में जाकर किसानों की समस्याएं सुनने और उनके समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए।
बैठक में उपनिदेशक कृषि डॉ. राहुल कटोच, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वैज्ञानिक डॉ. एडी बिंद्रा, डॉ. विनोद कुमार शर्मा, डॉ. सुमन कुमार, डॉ. सुखदेव शर्मा, जाइका के डायरेक्टर डॉक्टर सुनील चौहान, आत्मा प्रोजेक्ट के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. विशाखा, डॉ. सुशील, राज्य जैव नियंत्रण प्रयोगशाला के अधिकारी, एसएमएस और एडीओ आदि उपस्थित रहे।
सिंचाई सुविधा में सुधार
चंद्र कुमार ने कहा कि खेती के ढांचे में व्यापक बदलाव के लिए सरकार प्रयत्नशील है। विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई सुविधा को सुदृढ़ करने के लिए सौर सिंचाई योजना के अंतर्गत 127 किसानों को सौर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अलावा सिंचाई के लिए कम्युनिटी स्तर पर छह जल संग्रहण टैंक बनाए गए हैं। जाइका जवाली खंड परियोजना प्रबंधन इकाई के अंतर्गत लगभग 17 करोड़ रुपये की 19 सिंचाई उप परियोजनाएं बनाई जाएंगी, जिसमें से 17 उप परियोजनाओं की डीपीआर बनकर तैयार हो चुकी है और इनमें तीन परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है। इन परियोजनाओं से क्षेत्र के 1650 किसान परिवारों की 750 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
किसानों की समस्याएं और समाधान
कृषि मंत्री ने जोर देकर कहा कि किसानों की समस्याओं का समाधान फील्ड में जाकर ही संभव है। उन्होंने अधिकारियों को किसानों की समस्याएं सुनने और उन्हें समाधान प्रदान करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारियों को किसानों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करनी चाहिए।
कृषि मंत्री ने किसानों को विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी, जिनके माध्यम से वे अपनी कृषि गतिविधियों में सुधार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की सब्सिडी और अनुदान प्रदान कर रही है, जिनका लाभ उठाकर किसान अपनी फसल को बेहतर बना सकते हैं।
फॉल आर्मी वर्म की रोकथाम
फॉल आर्मी वर्म की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। इनमें नियमित निरीक्षण, जैविक कीटनाशकों का उपयोग, और प्रभावित फसलों का उचित निपटान शामिल है। वैज्ञानिकों ने किसानों को जैविक नियंत्रण विधियों का उपयोग करने की सलाह दी, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं और फसल को नुकसान पहुंचाए बिना कीटों को नियंत्रित कर सकते हैं।
सरकारी प्रयास और योजनाएं
सरकार ने खेती के ढांचे में सुधार लाने के लिए विभिन्न योजनाएं और परियोजनाएं शुरू की हैं। सौर सिंचाई योजना के अंतर्गत किसानों को सौर ऊर्जा का उपयोग कर सिंचाई की सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा, जल संग्रहण टैंकों के निर्माण और सिंचाई उप परियोजनाओं के माध्यम से भी सिंचाई की सुविधा में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कृषि में तकनीकी सुधार
कृषि में तकनीकी सुधार लाने के लिए सरकार और वैज्ञानिक संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं। नए और उन्नत तकनीकों के उपयोग से किसानों को उनकी फसल उत्पादन में सुधार करने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही, किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और समर्थन भी प्रदान किया जा रहा है ताकि वे नई तकनीकों का सही तरीके से उपयोग कर सकें।
कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका
कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों और शोध परिणामों के बारे में जानकारी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। KVK के माध्यम से किसानों को विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है, जिससे वे अपनी कृषि गतिविधियों में सुधार कर सकें। KVK के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ किसानों के साथ मिलकर काम करते हैं और उन्हें आवश्यक सलाह और सहायता प्रदान करते हैं।
किसानों की जागरूकता
किसानों की जागरूकता बढ़ाने के लिए जागरूकता शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को नई कृषि तकनीकों, कीटनाशकों के उपयोग, और फसल प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाती है। जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को उनकी फसल उत्पादन में सुधार करने और कीटों से निपटने के उपायों के बारे में जानकारी मिलती है।
निष्कर्ष
जवाली क्षेत्र में मक्की की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीड़े का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है। कृषि मंत्री चंद्र कुमार और कृषि विभाग के अधिकारियों के प्रयासों से इस समस्या का समाधान करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को जागरूक करने, तकनीकी सहायता प्रदान करने, और सिंचाई सुविधाओं में सुधार के माध्यम से इस समस्या का समाधान संभव है।
सरकार और कृषि विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वे लगातार किसानों के साथ मिलकर काम करें और उनकी समस्याओं का समाधान प्रदान करें। इस प्रकार के प्रयास न केवल किसानों की फसल उत्पादन में सुधार करेंगे, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाएंगे। उम्मीद है कि सरकार और कृषि विभाग के अधिकारियों के संयुक्त प्रयासों से जवाली क्षेत्र के किसान इस समस्या से जल्द ही निजात पा सकेंगे और उनकी फसलें फिर से हरी-भरी होंगी।
फसल विविधता और दीर्घकालिक समाधान
किसानों को फसल विविधता अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। मक्की के साथ-साथ अन्य फसलों की खेती से कीटों का प्रकोप कम हो सकता है और किसानों को आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए दीर्घकालिक समाधान अपनाकर और फसल विविधता को बढ़ावा देकर इस समस्या को स्थायी रूप से हल किया जा सकता है।
सरकार की भूमिका
सरकार को इस समस्या के समाधान के लिए निरंतर प्रयास करना होगा। किसानों को अनुदानित दरों पर कीटनाशक दवाइयां उपलब्ध कराने, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करने, और किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा, किसानों की समस्याओं का समाधान फील्ड में जाकर ही संभव है। उन्हें सरकारी योजनाओं और सहायता का पूरा लाभ दिलाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तत्परता जरूरी है।
कृषि नीति में सुधार
कृषि नीति में सुधार की आवश्यकता है ताकि किसानों को कीटों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त सहायता मिल सके। सरकार को किसानों के लिए एक मजबूत सुरक्षा जाल तैयार करना चाहिए, जिसमें फसल बीमा, अनुदान, और तकनीकी सहायता शामिल हो। इस प्रकार की नीतियों से किसानों की समस्याओं का समाधान हो सकेगा और वे अधिक उत्पादन करने में सक्षम होंगे।
इस प्रकार, जवाली क्षेत्र में मक्की की फसल पर फॉल आर्मी वर्म कीड़े के प्रकोप को रोकने के लिए सरकार, कृषि विभाग, और किसानों को मिलकर काम करना होगा। केवल सामूहिक प्रयासों से ही इस समस्या का समाधान संभव है और क्षेत्र के किसानों की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।
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